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Tuesday, February 16, 2021

भारत में प्रथम महिलाएं

 



भारत में प्रथम महिलाएं


1. प्रथम भारतीय महिला क्रिकेट टीम कप्तान – शांत रंगा स्वामी (कर्नाटक)

2. भारत की प्रथम महिला शासक – रजिया सुल्तान (1236)

3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम महिला अध्यक्ष – एनी बेसेन्ट (1917)

4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष – सरोजिनी नायडू

5. प्रथम क्रान्तिकारी महिला – मैडम कामा

6. देश के किसी राज्य विधायिकी की प्रथम महिला विधायिका – डॉ. एस. मुत्तुलक्ष्मी रेड्डी (मद्रास विधान परिषद् 1926)

7. भारत के किसी राज्य की विधान सभा की प्रथम महिला अध्यक्ष – श्रीमती शन्नो देवी

8. देश के किसी राज्य के मंत्रिमण्डल में प्रथम महिला मंत्री – विजय लक्ष्मी पंडित (संयुक्त प्रांत, 1937)

9. देश के किसी राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री – सुचेता कृपलानी (उत्तर प्रदेश, 1963)

10. देश के किसी राज्य की प्रथम महिला राज्यपाल – सरोजिनी नायडू (उत्तर प्रदेश)

11. देश के किसी राज्य की प्रथम दलित मुख्यमंत्री – मायावती (उत्तर प्रदेश)

12. भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री – इंदिरा गांधी (1966)

13. केन्द्रीय व्यवस्थापिका का प्रथम महिला सांसद – राधाबाई सुबारायन (1938)

14. राज्य सभा की प्रथम महिला उपसभापति – बायलेट अल्बा (1962)

15. राज्य सभा की प्रथम महिला सचिव – बी. एस. रमा देवी (1993)

16. देश के किसी राज्य की मुख्यमंत्री बनने वाली प्रथम महिला अभिनेत्री – जानकी रामचंद्रन (तमिलनाडु 1987)

17. देश के किसी शहर की प्रथम महिला मेयर – तारा चेरियन (मद्रास 1957)

18. देश की प्रथम महिला राजदूत – विजयलक्ष्मी पंडित (सोवियत रूस 1947)

19. देश की प्रथम महिला न्यायिक अधिकारी (मुंसिफ) – अन्ना चांडी (भू. पू. ट्रावनकोर राज्य 1937)

20.सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री की राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त करने वाली प्रथम अभिनेत्री – नरगिस दत्त (फिल्म रात और दिन, 1968)

21. देश की प्रथम महिला अधिवक्ता – रेगिना गुहा

22. देश की प्रथम महिला बैरिस्टर – कोर्नोलिया सोराबजी (इलाहाबाद उच्च न्यायालय, 1923)

23. उच्च न्यायालय की प्रथम महिला न्यायाधीश – न्यायमूर्ति अन्ना चांडी (केरल उच्च न्यायालय, 1959)

24. देश के किसी राज्य की प्रथम महिला मुख्य सचिव – पद्मा

25. उच्च न्यायालय की प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश – न्यायमूर्ति लीला सेठ (हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय, 1991

26. सर्वोच्च न्यायालय की प्रथम महिला न्यायाधीश – न्यायमूर्ति मीरा साहिब फातिमा बीबी (1989)

27. वेनिस फिल्मोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का गोल्डन लॉयन पुरस्कार पाने वाली प्रथम भारतीय महिला – मीरा नायर फिल्म-मानसून वैडिंग (2001)

28. देश की प्रथम महिला सत्र न्यायाधीश – अन्ना चांडी (केरल, 1949)

29. उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन की सचिव – प्रिया हिमोरानी

30. प्रथम महिला मजिस्ट्रेट – ओमना कुंजम्मा

31. संघीय लोक सेवा आयोग की प्रथम महिला अध्यक्ष – रोज मिलियन बैथ्यू (1992)




Thursday, February 11, 2021

सर्वोदयी सिद्धराज ढड्ढा



सर्वोदयी सिद्धराज ढड्ढा


स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान अनेक युवकों को गांधीवाद और आजादी के बाद सर्वोदय ने बहुत प्रभावित किया; पर कुछ  बाद ही स्वदेशी, स्वभाषा, स्वभूषा तथा राष्ट्रवादी संस्कारों के आधार पर चलने वाले ये आन्दोलन अपने पथ से भटक गये। इससे सम्बद्ध अधिकांश लोग कांग्रेस में शामिल होकर सत्ता और भ्रष्टाचार की राजनीति में उतर गये; पर कुछ लोग ऐसे भी रहे, जिन्होंने आजीवन देशसेवा का वह मार्ग नहीं छोड़ा।


12 फरवरी, 1908 को जयपुर (राजस्थान) के एक अति सम्पन्न परिवार में जन्मे श्री सिद्धराज ढड्ढा ऐसे ही एक कर्मयोगी थे। उनके परिवार में हीरे-जवाहरात का पुश्तैनी काम होता था; पर इस सम्पन्नता के बावजूद उन्होंने स्वयंप्रेरित सादगी को स्वीकार किया था। वे अपने पुरखों की विशाल हवेली के एक कमरे में धरती पर दरी बिछाकर और सामने डेस्क रखकर काम करते थे। उनका आवास, अतिथिगृह, बैठक और कार्यालय सब वही था।


स्वतन्त्रता से पूर्व 1940-41 में वे 10,000 रु. मासिक की शाही नौकरी छोड़कर स्वेच्छा से गांधी जी और स्वाधीनता आन्दोलन के प्रति समर्पित हो गये। तब घर-परिवार ही नहीं, समाज ने भी उन्हें पागल कहा था। ऐसा ही पागलपन उन्होंने एक बार फिर दिखाया। 1947 के बाद जब देश में पहली लोकतान्त्रिक सरकार बनी, तो वे उसमें कैबिनेट मन्त्री बनाये गये; पर कुछ ही दिन बाद प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरु को गांधीवाद से एकदम विमुख होते देख उन्होंने उस मन्त्रीपद को ठोकर मार दी।


सिद्धराज जी का मानना था कि सत्याग्रह एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। सच्चे सत्याग्रही को सदा काँटों के पथ पर चलने को तैयार रहना चाहिए। यदि वह भी सो जायेगा, तो शासक वर्ग को भ्रष्ट होने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए स्वाधीनता के बाद भी देश में जहाँ कहीं शासन की जनविरोधी नीतियों के विरुद्ध कोई आन्दोलन खड़ा होता था, सिद्धराज जी वहाँ पहुँच जाते थे। कोई उन्हें आन्दोलन में भाग लेने के लिए बुलाये, वे इसकी प्रतीक्षा नहीं करते थे। स्वयंस्फूर्त प्रेरणा उन्हें वहाँ खींचकर ले जाती थी।


सिद्धराज जी को भौतिक सुख-सुविधाओं की जरूरत नहीं थी। अपने खर्चे पर बस या रेल, जो भी मिलता, वे उसमें बैठकर अपना सामान स्वयं उठाकर सत्याग्रहियों के साथ अग्रिम पंक्ति में खड़े हो जाते थे। 98 वर्ष की आयु में जब उनका देहान्त हुआ, उससे कुछ समय पूर्व वे विदेशी कम्पनी कोककोला के विरुद्ध चलाये जा रहे आन्दोलन में सक्रिय थे। वे प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा के रोग से भी दूर थे। शासन द्वारा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को दी जा रही खुली छूट के विरोध में उन्होंने ‘पद्मश्री’ की उपाधि ठुकरा दी।



Tuesday, January 12, 2021

मूंगफली खाने के फायदे

 मूंगफली खाने के फायदे


मूंगफली के बारे में कहा जाता है कि अगर किसी का बजट ड्राई फ्रूटस खरीदने का नहीं है, तो मूंगफली को सबसे सस्ते ड्राई फ्रूट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। मूंगफली के पोषण और गुणों की बात करें, तो ये किसी भी तरह से बादाम से कम नहीं है। मूंगफली प्रोटीन से भरपूर होने के साथ इसमें आयरन और कैल्शियम की भी प्रचुर मात्रा होती है। ऐसे में सर्दियों में मूंगफली खाना आपको न सिर्फ हेल्दी रखता है बल्कि कई बीमारियों से बचाता भी है।



👉🏿हड्डियों को मजबूत बनाता है

मूंगफली में पाया जाने वाला आयरन लाल रक्त कोशिकाएं बढ़ाता है और हड्डियों को मजबूत बनाता ह। साथ ही बढ़ती उम्र में ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका कम करता है।  


👉🏿डायबिटीज की आशंका घटाए

 एक शोध में पाया गया है कि प्रतिदिन संतुलित मात्रा में मूंगफली खाने से डायबिटीज होने की आशंका 21 फीसदी तक कम हो सकती है। रोस्ट की हुई मूंगफली बहुत गुणकारी मानी जाती है। 


👉🏿डिप्रेशन से बचाव

डिप्रेशन से बचाव और इसके उपचार में मूंगफली का सेवन अच्छा होता है। मूंगफली में ट्रिपटोफान नामक एमिनो एसिड होता है, जो मिजाज को ठीक रखने वाले हॉर्मोन सेरोटोनिन का स्राव बढ़ाता है। इससे मिजाज अच्छा होता है और मन शांत रहता है। 


👉🏿बढ़ती उम्र के असर को कम करे

 मूंगफली में ओमेगा-6 फैटी एसिड भरपूर मात्रा में मिलता है, जो स्वस्थ कोशिकाओं और अच्छी त्वचा के लिए जिम्मेदार है। इसमें पाया जाने वाला विटामिन ई त्वचा में चमक लाता है। यह त्वचा का लचीलापन बनाये रखता है, जिससे त्वचा पर बढ़ती उम्र का असर नजर नहीं आता।


👉🏿पाचन की समस्या से निजात दिलाए

मूंगफली में तेल का अंश होने से यह पेट की बीमारियों को खत्म करती है। इसके नियमित सेवन से कब्ज, गैस व एसिडिटी से राहत मिलती है।


👉🏿दिल का रखे ख्याल

मूंगफली कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाती है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करके शरीर के लिए जरूरी कोलेस्ट्रॉल के उत्पादन को बढ़ाती है। इसमें मोनो-अनसेचुरेटेड फैटी एसिड होता है, जिससे दिल संबंधी बीमारियों से छुटकारा मिलता है। हफ्ते में पांच दिन मूंगफली के कुछ दाने खाने से दिल की बीमारियों का खतरा घट सकता है।


👉🏿दिमाग तेज करने में मददगार मूंगफली में विटामिन बी3 पाया जाता है, जो मस्तिष्क के लिए बहुत ही जरूरी होता है। इसमें मौजूद नियासिन नामक तत्व दिमाग के काम करने की क्षमता को बढ़ाता है, जिससे भूलने की बीमारी दूर होती है।

 


मूंगफली खाने की नुकसान

 

मूंगफली खाने की नुकसान 


🌹थाइरॉइड के रोगियों को मूंगफली का सेवन नहीं करना चाहिए। इसमें पाया जाने वाला गोईटरोजन नामक तत्व थाइरॉएड ग्रंथि की प्रक्रिया को असंतुलित कर सकता है।  


🌹मूंगफली उच्च कैलोरी युक्त बीज है। इसके अधिक सेवन से मोटापा भी हो सकता है। संतुलित मात्रा में ही इसका सेवन करें।  


🌹किडनी या गॉल ब्लैडर के रोगी भी मूंगफली का सेवन न करें।  



Thursday, December 24, 2020

अनुवाद का अर्थ एवं परिभाषाएं

 अनुवाद एक भाषा की बात को दूसरी भाषा में व्यक्त करने का नाम है। जिसकी उत्पत्ति अनु+वाद के संयोग से हुई है। जिसका अर्थ है


— बाद में कहना अर्थात् पहले कही हुई बात को पुनः नए सिरे से उसी भाषा या अन्य भाषा कहना ही अनुवाद है। हिंदी में इसके लिए उल्था, तर्जुमा, भाषांतर, व्याख्या, अनुवचन, लिप्यंतरण इत्यादि शब्द हैं। जबकि अंग्रेजी में इसके लिए Translation शब्द को पर्याय रूप में चुना गया है।

          जब पर्याय की बात प्रबल हुई तो अन्य भाषाओं में अनुवाद की प्रक्रिया भी तीव्र हुई। फलतः विद्वानों ने अनेक भाषाओं के अनुवाद के दौरान होने वाली कठिनाईयों और सुलभता को आकंते हुए इसके लिए कुछ सिद्धांत दिए हैं। जिन पर आगे चलकर विभिन्न आधारों पर अनुवाद सिद्धांतों को प्रतिपादित किया गया। उन्हीं सिद्धांतों की चर्चा नीचे की जाएगी।

अनुवाद संबंधी सिद्धांतों पर स्वतंत्र ग्रंथों का लेखन वस्तुतः बीसवीं शताब्दी से आरंभ हुआ है। इसी शताब्दी के दौरान साहित्यिक और भाषा-वैज्ञानिक पत्रिकाओं में अनुवाद पर लेखों का प्रकाशन आरंभ हुआ और अनुवाद संबंधी पत्रिकाएँ आरंभ हुई। विभिन्न कालों में पश्चिम में अनुवाद को तरह-तरह से परिभाषित करने का प्रयास किया गया है। कुछ परिभाषाएँ हैं—

जे. सी. केटफोर्ट के अनुसार— अनुवाद स्रोत भाषा की पाठ-सामग्री को लक्ष्य भाषा के समानार्थी पाठ में प्रतिस्थापित करने की प्रक्रिया है।

सेंट जेरोम के अनुसार – अनुवाद में भाव की जगह भाव होना चाहिए न कि शब्द की जगह शब्द।

संदर्भ ग्रंथसूची बनाने का आसान तरीका

 संदर्भ ग्रंथसूची

Friday, December 18, 2020

माता पिता का सम्मान करने के उपाय

  माता पिता का सम्मान करने के उपाय

1. उनकी उपस्थिति में अपने फोन को दूर रखो.

2. वे क्या कह रहे हैं इस पर ध्यान दो.

3. उनकी राय स्वीकारें.

4. उनकी बातचीत में सम्मिलित हों.

5. उन्हें सम्मान के साथ देखें.

6. हमेशा उनकी प्रशंसा करें.

7. उनको अच्छा समाचार जरूर बताएँ.

8. उनके साथ बुरा समाचार साझा करने से बचें.

9. उनके दोस्तों और प्रियजनों से अच्छी तरह से बोलें.

10. उनके द्वारा किये गए अच्छे काम सदैव याद रखें.

11. वे यदि एक ही कहानी दोहरायें तो भी ऐसे सुनें जैसे पहली बार सुन रहे हो.

12. अतीत की दर्दनाक यादों को न दोहरायें.

13. उनकी उपस्थिति में कानाफ़ूसी न करें.

14. उनके साथ तमीज़ से बैठें.

15. उनके विचारों को न तो घटिया बताये न ही उनकी आलोचना करें.

16. उनकी बात काटने से बचें.

17. उनकी उम्र का सम्मान करें.

18. उनके आसपास उनके पोते/पोतियों को अनुशासित करने अथवा मारने से बचें.

19. उनकी सलाह और निर्देश स्वीकारें.

20. उनका नेतृत्व स्वीकार करें.

21. उनके साथ ऊँची आवाज़ में बात न करें.

22. उनके आगे अथवा सामने से न चलें.

23. उनसे पहले खाने से बचें.

24. उन्हें घूरें नहीं.

25. उन्हें तब भी गौरवान्वित प्रतीत करायें जब कि वे अपने को इसके लायक न समझें.

26. उनके सामने अपने पैर करके या उनकी ओर अपनी पीठ कर के बैठने से बचें.

27. न तो उनकी बुराई करें और न ही किसी अन्य द्वारा की गई उनकी बुराई का वर्णन करें.

28. उन्हें अपनी प्रार्थनाओं में शामिल करें.

29. उनकी उपस्थिति में ऊबने या अपनी थकान का प्रदर्शन न करें.

30. उनकी गलतियों अथवा अनभिज्ञता पर हँसने से बचें.

31. कहने से पहले उनके काम करें.

32. नियमित रूप से उनके पास जायें.

33. उनके साथ वार्तालाप में अपने शब्दों को ध्यान से चुनें.

34. उन्हें उसी सम्बोधन से सम्मानित करें जो वे पसन्द करते हैं.

35. अपने किसी भी विषय की अपेक्षा उन्हें प्राथमिकता दें.