telegram

Search results

Showing posts with label भाषा संवर्धन. Show all posts
Showing posts with label भाषा संवर्धन. Show all posts

Friday, June 26, 2020

भाषा की समृद्धि में अनुवाद



भाषा की समृद्धि में अनुवाद
अनुवाद से भाषा की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। नए भावों, विचारों और अभिव्यक्तियों से एक ओर जहाँ अभिव्यक्ति-क्षमता बढ़ती है, वहीं दूसरी ओर उसका शब्द-भण्डर भी विस्तृत होता है। इस प्रक्रिया में उनके समकक्ष पर्याय खोजने, नये शब्द निर्माण एवं अन्य भाषाओं के शब्दों को ज्यों का त्यों थोड़ा फेर-बदल करके ग्रहण कर लिया जाता है। उदाहरणतः अंग्रेजी के शब्द ‘hour’ के लिए हिंदी में घंटा’, ‘minute’ के लिए मिनट’, ‘tragedy’ के लिए त्रासदीऔर ‘comedy’ के लिए कामदीरखे गए हैं।
इसी क्रम में Toxin, venom, poison, App, Whatsapp, blue tooth, Wikipedia, verse, internet, sms, Facebook आदि अंग्रेजी शब्दों ने कहीं न कहीं हिंदी को समृद्ध किया है। किंतु बाजारीकरण के बाजारूपन ने भाषा को निरंतर घटिया और अस्पष्ट बना दिया है। इसके अतिरिक्त उर्दू, अरबी, फारसी एवं अनेक देशज भाषा शब्दों के आगमन ने भी भाषिक विकास में सहयोग किया हैवकालतनामा, हलफ़नामा, मराठी की पावती (knowledgement), आवक (inward), जावक (outward), कन्नड़ से सांध (Annex) आदि इसी संवर्धन का प्रमाण हैं।
         सच तो यह है कि भाषा संवर्धन की प्रक्रिया के दौरान भाषा में जो बाजारूपन आया, वह बाजार के कारण नहीं; बल्कि मानवीय समाज की क्रूरता के कारण हुआ है। जिसका प्रतिफल हम जनसंचार के विश्वसनीय माध्यम दूरदर्शन में देख सकते हैं।
रोचक बात तो यह है कि भारतीय जनसंचार में दूरदर्शन की भूमिका प्रभावी है। क्योंकि यह दृश्य के साथ-साथ श्रव्य माध्यम भी है। इसकी भाषा में रंगमंचीयता घोलने के प्रयास ने भाषा को बेहद कच्चा कर दिया है। जिसे हम दूरदर्शन की संवाद-शैली के एक उदाहरण में समझ जाएंगेसभी सर्वेक्षणों के द्वारा यह पाया गया है, संवाददाता का समाचार के दौरान कहनायदि हम विशेष की बात करें तो पाएगें इत्यादि।
          आज दूसरी भाषा सीखना न केवल व्यक्ति की सांस्कृतिक संपन्नता का प्रतीक है। बल्कि उसकी आवश्यकता बन गया है। आज यदि कोई व्यक्ति दूसरी भाषा सीखना चाहता है तो किसी शैक्षिणिक भाषा के रूप में सीख सकता है। इसके अतिरिक्त अन्य भाषिक ज्ञान को उस भाषा में प्रणीत साहित्य का रसास्वादन कर सकता है। वह अन्य भाषा-भाषी के जीवन, परंपरा और संस्कृति को व्यापक स्तर पर जान सकता। जानने की यह प्रबल इच्छा अनुवाद के कारण ही जागृत होती है। इस कार्य में अनुवादक की निष्ठा, लगन और प्रभावी भूमिका उल्लेखनीय है जिसने संपूर्ण विश्व को एक ग्राम में परिवर्तित कर दिया है, जो निरंतर सिकुड़ रहा है।