अनुवाद पर प्रकाशन करने वाले संस्थान
भारतीय शिक्षा में अनुवाद की भूमिका हमेशा
से सक्रिया रही है। भारत के हर प्रदेश में शिक्षा के लिए अनुवाद की मदद प्रत्यक्ष
और परोक्ष दोनों रूपों से ली जाती रही है। विभिन्न राज्यों में ग्रंथ अकादमियाँ एवं
राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल बुक ट्रस्ट, प्रकाशन विभाग, सूचना एवं
प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार इत्यादि ने भारतीय भाषाओ में मौलिक लेखन के साथ-साथ
स्तरीय ग्रंथों का अनुवाद कार्य भी शुरू कर दिया है। हिंदी के माध्यम से
विश्वविद्यालय की स्तरीय पुस्तकों को प्रकाशित करने वाली प्रमुख संस्थाएँ हैं—
vउत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान,
vमध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी,
vहरियाणा ग्रंथ अकादमी,
vराजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी,
vहिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय,
vदिल्ली विश्वविद्यालय,
vहिंदी माध्यम कक्ष,
vबनारस हिंदु विश्वविद्यालय (विज्ञान संबंधी प्रकाशनों के
लिए) और
vपंत नगर कृषि विश्वविद्यालय का प्रकाशन निदेशालय (कृषि एवं
इंजीनियरी संबंधी प्रकाशनों के लिए)।
इनके अतिरिक्त
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद और अलीगढ़ विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए इतिहास
पुस्तकों के अनुवाद विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
प्राइवेट प्रकाशन संस्थानों द्वारा
प्रकाशित ग्रंथ भी काफी महत्त्वपूर्ण है। इनमें मोतीलाल बनारसीदास द्वारा प्रकाशित
प्राचीन पुस्तकों के अनुवाद एवं मैक्मिल द्वारा प्रकाशित सामाजिक विज्ञानों की
पुस्तकों के हिंदी अनुवादों का उल्लेख किया जा सकता है। परंतु यह वह संस्थान है
जिनका अनुवाद के जरिए शिक्षा में योगदान तो है। परंतु अकादमिक रूप में ‘अनुवाद शिक्षा’ का उल्लेख हमें कम ही मिलता है।