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Tuesday, August 18, 2020

आभूषण धारण करने की आवश्यकता एवं महत्व


*👉आगे......अलंकार धारण करने से देवता की तरंगें ग्रहण कर पाना*


*🤝बने रहिए रोज जीवन के कुछ अनमोल सूत्र, सनातन के अनमोल वचन आप तक समिति द्वारा पहुँचाये जाए।


*♦️२. अलंकारों द्वारा तेजस्विता एवं प्रसन्नता प्रदान होना*

अलंकारों के स्पर्श से देह की चेतना जागृत होती है । चेतना से देह में सजगता आती है । सजगता से देह सात्त्विक तेजरूपी तरंगें ग्रहण कर संवेदनशील बनता है । इस संवेदनशीलता से ही तेजस्विता आती है । तेजस्विता से देवत्व आता है एवं देवत्व से प्रसन्नता आती है । प्रसन्नता से आनंदरूप ईश्वरीय तत्त्व का बोध होता है । ईश्वरीय तत्त्व के आकलन से मोक्ष प्राप्त हो सकता है


*♦️३. तारक एवं मारक तत्त्व*

 मुखमंडल का तथा दमकनेवाले अलंकारों का आह्लादयुक्त तेज वायुमंडल के रज-तमात्मक कणों का नाश करता हैै, इसलिए वह तारक अर्थात देवत्व प्रदान करनेवाला है और मारक अर्थात अनिष्ट शक्तियों को नष्ट करनेवाला है


*♦️४. सौंदर्यवृद्धि के लिए अलंकार उपयुक्त*

 मनुष्य को अपनी देह के प्रति आसक्ति रहती है । देह को सजाने के लिए अर्थात अपने सौंदर्य में वृद्धि करने के लिए अलंकार धारण किए जाते हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग में हुए परिवर्तन

बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े परिवर्तन - 


मुख्य परिवर्तन निम्न हैं -


1. विद्यालय का समय -

A) 1 अप्रैल से 30 सितंबर - प्रातः 8 से दोपहर 2 बजे तक

मध्यावकाश/मिड डे मील समय - प्रातः 10.15 से 10.45 तक

B) 1 अक्टूबर से 31 मार्च - प्रातः 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक

मध्यावकाश/मिड डे मील समय - प्रातः 11.55 से 12.25 तक


नोट - विद्यालय शिक्षण प्रारंभ होने से 15 मिनट पहले एवं न्यूनतम 30 मिनट बाद तक विद्यालय में रहेंगे।


2. शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन अवकाश -

A) शीतकालीन अवकाश - 31 दिसंबर से 14 जनवरी

B) ग्रीष्मकालीन अवकाश - 20 मई से 15 जून

C) नए सत्र का आरंभ - 16 जून से


नोट - अवकाश तालिका से भिन्न कोई भी लोकल अवकाश स्वीकृत करने का अधिकार जिलाधिकारी महोदय के अतिरिक्त अन्य किसी के पास नहीं होगा।


3. समय सारणी में प्रत्येक कालांश 40 मिनट का होगा एवं साल में न्यूनतम 240 शिक्षण दिवस होंगे।


4. अभिलेख रजिस्टरों/पंजिकाओं की संख्या 40 से कम करके 14 कर दी जाएंगी -

A - शिक्षक डायरी

B - उपस्थिति पंजिका

C - प्रवेश पंजिका

D - कक्षावार छात्र उपस्थिति पंजिका

E - एमडीएम पंजिका

F - समेकित निःशुल्क सामग्री वितरण पंजिका

G - स्टॉक पंजिका

H - आय व्यय पंजिका

I - चेक इशू पंजिका (बजट वार)

J - बैठक पंजिका

K - निरीक्षण पंजिका

L - पत्र व्यवहार पंजिका

M - बाल गणना पंजिका

N - पुस्तकालय/खेलकूद पंजिका


5. कुछ ध्यान देने योग्य मुख्य बिंदु -


A) विद्यालय प्रत्येक दो सप्ताह में इंटरनल टेस्ट लिया करेंगे जिसके आधार पर उपचारात्मक शिक्षण किया जाएगा।


B) शिक्षक अपने अवकाश या अन्य किसी कार्य हेतु विद्यालय अवधि में विद्यालय नहीं छोड़ेंगे, किसी अवकाश या समस्या की स्थिति में मानव संपदा पोर्टल का प्रयोग करना सुनिश्चित किया जाएगा।


C) शिक्षक किसी भी गैर शैक्षणिक कार्य, रैली, फेरी, बैंक आदि के कार्य को विद्यालय समय में नहीं कर सकेंगे।


 ✍️विद्यालय में आधा घण्टे का Stay Back अनिवार्य ।

✍️ग्रीष्मावकाश 21 मई से 15 जून।

✍️शीतकालीन अवकाश 31 दिसम्बर से 14 जनवरी तक।

✍️शिक्षण दिवसों की संख्या हुई 240

✍️प्रत्येक माह के चौथे शनिवार को शिक्षण अवधि के पश्चात खण्ड संसाधन केंद्र पर दो घण्टे की अनिवार्य बैठक।

✍️ प्रशिक्षण ऑनलाइन अथवा शिक्षण अवधि के पश्चात ।

✍️ पासबुक अद्यतन /चैक पर प्रधान /विद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष के हस्ताक्षर आदि शिक्षण अवधि के पश्चात ही विद्यालय छोड़ना सुनिश्चित किया।

✍️ रंगाई/पुताई/ निर्माण/बाल गणना/अन्य गैर विभागीय परिवार सर्वेक्षण आदि शिक्षण अवधि के पश्चात ही करने की अनुमति।




कुछ बात समझ में नहीं आई अभी तक बेसिक शिक्षा में ----


1. जब किसी शिक्षक को बैंक में जाना होगा तो वो किस समय जाएगा? शिक्षक 8 बजे स्कूल जाएगा और 3 बजे स्कूल बंद होने के बाद 30 मिनट और यानी 3:30 तक स्कूल में रहेगा और उसके बाद स्कूल बंद करके बैंक जाएगा तो 4 बजे तक बैंक बंद हो जाएगा तो शिक्षक बैंक का काम करेगा कब?जबकि वो बैंक का काम भी स्कूल के बैंक वाला काम ही है


क्या अब शिक्षक स्कूल के काम के लिए भी अलग से छुट्टी ले जो उसकी खुद की छुट्टी है?


2- शिक्षक राशन लेने कब जाए? किस टाइम जाए स्कूल टाइम जाना नहीं है स्कूल खुलने के पहले राशन लेने के लिए वाहन और उसको स्कूल लेकर आना संभव नहीं है और स्कूल बंद करने के बाद अगर ये काम किया जाए तो न तो टाइम से कोटेदार मिलेंगे और न ही सही टाइम पर वाहन और अगर ये सब मिल भी गया तो शिक्षक कितने टाइम तक स्कूल पर रहेगा उसकी कोई सीमा नहीं है।


3-प्रधान से किसी काम(mdm चेक/हस्ताक्षर) को करने किस टाइम जाया जाए? सुबह स्कूल पहुंचने और सही टाइम पर पहुंचने की टेंशन और शाम में 4 बजे के बाद जल्दी कोई प्रधान मिलता नहीं है और अगर काम सही टाइम पर न हो तो वेतन रोकने की धमकी अलग से हर वक्त मिलती रहती है 


4- आज भी बहुत से स्कूलों में गैस की डिलीवरी सही टाइम पर नहीं हो पाती तो सिलेंडर लेने जाना होता है ये काम किस टाइम किया जाए? 4 बजे तक एजेन्सी बंद और सन्डे को तो वैसे भी बंद रहती है। सिलेंडर न आए तो खाना न बन पाए तो भी वेतन रुके और सिलेंडर लेने जाओ तो भी वेटक रुके। और सन्डे को मिलेगा नहीं तो। शिक्षक करे तो क्या करे कोई तो समझाए।


5- किताब/जूता/बैग/स्वेटर आदि स्कूल तक पहुंचाने का टेंडर होता है पर स्कूल तक पहुंचती कैसे है ये चीज़ें ये सब लोग जानते है। ये सब समय से स्कूल में न मिले तो भी शिक्षक का ही वेतन रुकेगा।


6- ये जो हर दिन कोई न कोई सूचना विभाग द्वारा मांगी जाती है वो कैसे भेजी जाए?और किस समय शिक्षक उस सूचना को विभाग को दे इसका कोई समय है? अगर सूचना न दे तो आदेश की अव्हेलना और वेतन रुकेगा ।


7- न तो प्राथमिक विद्यालयों में कोई चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है न कोई स्थाई गार्ड तो ऐसी स्थिति में बहुत से काम खुद शिक्षक को ही करने होते हैं तो वो काम शिक्षक किस समय में करे?


8- स्कूल टाइम में शिक्षक का इंटरनेट चलाना प्रतिबंधित है ऐसा विभाग और सरकार बोलती है पर विभाग सारी सूचना वॉट्सएप और इंटरनेट पर ही मांगता है एक भी पत्र स्कूल पर नहीं आता जो भी काम सब व्हाट्स ऐप पर ही होता है तो शिक्षक करे तो क्या करे?


हम सरकार की हर बात मानने को तैयार हैं बल्कि हम इसकी खुशी होगी पर सरकार शिक्षक से सिर्फ़ शिक्षा देने का ही काम करवाए और कुछ नहीं। इससे हमारी छवि भी सरकार और समाज की नज़रों में अच्छी होगी और हमारी नजर में सबकी।


शिक्षक को सिर्फ़ शिक्षक ही रहने दें।


एक आम शिक्षक की परेशानी और सरकार से निवेदन..

सनातन धर्म महत्वपूर्ण तिथियां अर्थात दिवस

 सिद्ध तिथियां, रात्रियाँ और पर्व


कुछ तिथियां अपने आप में ही महत्वपूर्ण एवं सिद्धिप्रद मानी गई है, जिनका ज्ञान शायद ही इक्के दुक्के सन्यासी, साधु या ज्योतिषी को होगा । नीचे मैं इन्ही महत्वपूर्ण तिथियों को स्पष्ट कर रहा हूँ, जिसका प्रयोग करने से साधना में स्वतः सिद्धि प्राप्त होती हैं ।


दस महाविद्या जयन्ति तिथियां


१- काली  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी

२- तारा  चैत्र शुक्ल नवमी 

३- ललिता  माघ शुक्ल पूर्णिमा

४- भुवनेश्वरी  भाद्रपद शुक्ल द्वादशी 

५- भैरवी  मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा

६- छिन्नमस्ता  वैशाख शुक्ल चतुर्दशी

७- धूमावती  ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी 

८- बगलामुखी  वैशाख शुक्ल चतुर्थी 

९- मातंगी  वैशाख शुक्ल चतुर्दशी

१०- कमला  कार्तिक कृष्ण अमावस्या


दस सिद्धविद्या जयन्ति तिथियां


१- कुब्जिका  वैशाख कृष्ण त्रयोदशी की मध्य रात्रि को 

२- चण्डिका  वैशाख शुक्ल पूर्णिमा 

३- मात्रा  मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी 

४- सिद्धलक्ष्मी  वैशाख शुक्ल चतुर्दशी

५- सरस्वती  माघ शुक्ल पंचमी

६- अन्नपूर्णा  मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी 

७- गायत्री  श्रावण शुक्ल पूर्णिमा

८- पार्वती  आषाढ़ शुक्ल नवमी 

९- अपराजिता  आश्विन शुक्ल नवमी

१०- विन्ध्यवासिनी  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी 


दशावतार जयन्ति तिथियां


१- मत्स्यावतार  कार्तिक शुक्ल नवमी

२- राम  चैत्र शुक्ल नवमी

३- कृष्ण  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी

४- वामन  भाद्रपद शुक्ल द्वादशी

५- नृसिंह  वैशाख शुक्ल चतुर्दशी 

६- परशुराम  वैशाख शुक्ल तृतीया

७- वाराह  आश्विन शुक्ल चतुर्दशी

८- कल्कि  श्रावण शुक्ल षष्ठी

९- बुद्ध  भाद्रपद पूर्णिमा

१०- बलभद्र  मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा 


युगारम्भ तिथियां


१- सतयुग  वैशाख शुक्ल तृतीया

२- त्रेतायुग  कार्तिक शुक्ल नवमी

३- द्वापरयुग  भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी

४- कलियुग  माघ कृष्ण अमावस्या


प्रत्येक महीने के गुरु पर्व


१- चैत्र शुक्ल तृतीया

२- वैशाख शुक्ल तृतीया

३- ज्येष्ठ शुक्ल दसमी

४- आषाढ़ शुक्ल पंचमी

५- श्रावण कृष्ण पंचमी

६- भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी

७- आश्विन कृष्ण त्रयोदशी

८- कार्तिक शुक्ल नवमी

९- मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया

१०- पोष शुक्ल नवमी

११- माघ शुक्ल चतुर्थी

१२- फाल्गुन शुक्ल नवमी


चार नवरात्र


१- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी 

२- आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी (गुप्त)

३- आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी

४- माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी (गुप्त)


विशिष्ट रात्रि पर्व


१- वीर रात्रि  चतुर्दशी को रविवार

२- महारात्रि  आश्विन शुक्ल अष्टमी

३- कालरात्रि  कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को अर्द्ध रात्रि में अमावस्या का योग होने पर 

४- मोह रात्रि  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी

५- क्रोध रात्रि  चैत्र शुक्ल नवमी

६- घोर रात्रि  मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी (महाकाल वीर जयन्ति) 

७- अचला रात्रि  फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को मंगल या शुक्रवार हो 

८- तारा रात्रि  ज्येष्ठ शुक्ल दसमी

९- शिवरात्रि  फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी

१०- मृतसंजीवनी रात्रि  अमावस्या को शुक्रवार हो और मध्यान्ह में सूर्य ग्रहण हो

११- सिद्धि रात्रि  चैत्र मास की अष्टमी को रविवार और संक्रांति हो (काली और तारा के लिए विशेष सिद्धिप्रद)

१२- दारुण रात्रि  वैशाख शुक्ल तृतीया को मंगलवार हो

१३- सुंदरी रात्रि  किसी भी मास की पूर्णिमा को महानक्षत्र हो

१४- देवी रात्रि  किसी भी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मंगलवार हो 

१५- गणेश रात्रि  माघ चतुर्थी को मकर संक्रांति हो

१६- सिद्धि रात्रि  किसी भी माह की कृष्ण पक्ष की नवमी को मूल नक्षत्र हो

१७- बाण रात्रि  किसी भी मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मंगलवार हो

१८-कृष्ण रात्रि  किसी भी अमावस्या को मंगलवार हो

१९- धर्म रात्रि  पौष या माघ अमावस्या को सूर्य श्रवण नक्षत्र पर हो

२०- दिव्य रात्रि  अमावस्या को मंगल या शुक्रवार और सूर्य क्रूर नक्षत्रो पर हो

२१- विष्णु रात्रि  भाद्रपद मास की अष्टमी को बुधवार हो

२२- काम संजीवनी रात्रि  माघ शुक्ल पंचमी (बसन्त पंचमी) को शुक्रवार हो

२३- रिद्धि सिद्धि योग रात्रि  चैत्र मास की तृतीया को रेवती नक्षत्र हो

२४- पर्वराज रात्रि  पौष मास की तृतीया को शुक्रवार तथा रेवती नक्षत्र हो ।


चार महारात्रि 


१. मोहरात्रि (जन्माष्टमी) । 

२. कालरात्रि (नरक चतुर्दशी) ।

३. दारुण रात्रि (होली) । 

४. अहोरात्रि (महाशिवरात्रि) । कुछ महत्वपूर्ण सिद्ध तिथियां तय सनातन धर्म की सिद्ध तिथियों सनातन धर्म की सनातन सनातन धर्म की सनातन धर्म

लिवर खराब होने के महत्वपूर्ण कारण

 🌹लिवर खराब होने के कारण🌹


🌻1-शराब या अन्य नशीले पदार्थों का अधिक समय तक और अधिक मात्रा में उपयोग यकृत (लीवर) की बीमारी का कारण बनता है।शराब लीवर को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाती है।


🌻2-कुछ अंग्रेजी दवाओं के अधिक मात्रा में सेवन के कारण लीवर को क्षति पहुंच सकती है। जैसे पेरासिटामोल का अधिक उपयोग तथा कैंसर के उपचार में काम आने वाली कुछ दवाओं के कारण यकृत (लीवर) प्रभावित हो सकता है।


🌻3-लीवर कई बार किसी वायरस, आनुवांशिक रोग, पुराना मलेरिया, ज्वर, अधिक मीठे , अधिक तले भुने पदार्थो का सेवन, दूषित,बासी खान पान, कब्ज आदि से लिवर के खराब हो जाता है ।


🌻4-कई बार बुखार ठीक होने के बाद भी लिवर खराब रहता है या कठोर और पहले से बड़ा हो जाता हैं। इस रोग के घातक रूप ले लेने से लिवर सिरोसिस हो सकता है।


🌹लिवर खराब होने पर क्या खाना चाहिए  :


 👉🏻ताजे फल और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन ।

 👉🏻अधिक मात्रा में पानी पिए ।

 👉🏻लीवर के रोगों में पालक और चकुंदर का जूस पीना लाभकारी है ।

👉🏻याद रखें लीवर के रोगों में मरीज का खाना हल्का और आसानी से पचने वाला होना चाहिए ।


🌹लिवर खराब होने पर क्या नहीं खाना चाहिए :


✱ शराब, ,चाय, काफी, जंक फूड आदि से परहेज करें ।

✱ एंटीबायोटिक दवाईयों का अधिक मात्रा में सेवन न करें ।

✱ सफेद डबलरोटी, बर्गर, जंक फूड और मैदा से बने भोजन ना खाएं |

✱ अत्यधिक तले हुए भोजन से परहेज करें ।

✱पास्ता, चाय, मैगी, चौमीन, कॉफी, तंबाकू, मांस खासकर रेड मीट और मिठाइयां न खाएं-पिएं।


🌹लिवर खराब होने पर उपचार :


🌻1. अदरक के 1 ग्राम बारीक चूर्ण को पानी के साथ सुबह-शाम लेने से जिगर की बिमारी में आराम मिलता है।


🌻2.1-1 गिलास छाछ दिन में 2-3 बार पीने से जिगर का रोग ठीक होता है।


🌻3.12 ग्राम देशी अजवायन को 125 ग्राम पानी के साथ मिट्टी के बर्तन में रात को भिगो दें। सुबह इसी पानी को निथार कर पीने से 7 दिनों तक जिगर में खून की कमी दूर हो जाती है


🌻4.पीपल का 5 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम लेने से जिगर की बिमारी से राहत मिलती है।

हिंदू धर्म में पीपल का महत्व

आज का विषय है हिदु धर्म और पीपल 

पीपल को वृक्षों का राजा कहते है। इसकी वंदना में एक श्लोक देखिए:-
मूलम् ब्रह्मा, त्वचा विष्णु,
सखा शंकरमेवच ।
पत्रे-पत्रेका सर्वदेवानाम,
वृक्षराज नमोस्तुते ।।

हिदु धर्म में पीपल के पेड़ का बहुत महत्व माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं और हमारे पितरों का वास भी माना गया है।

पीपल वस्तुत: भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत:मूर्तिमान स्वरूप ही है। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है की वृक्षों में मैं पीपल हूँ।

पुराणो में उल्लेखित है कि
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मूलतः ब्रह्म रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिणः।
 अग्रतः शिव रुपाय अश्वत्त्थाय नमो नमः।। 
अर्थात इसके मूल में भगवान ब्रह्म, मध्य में भगवान श्री विष्णु तथा अग्रभाग में भगवान शिव का वास होता है।

शास्त्रों के अनुसार पीपल की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करने से समस्त देवता स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।
कहते है पीपल से बड़ा मित्र कोई भी नहीं है, जब आपके सभी रास्ते बंद हो जाएँ, आप चारो ओर से अपने को परेशानियों से घिरा हुआ समझे, आपकी परछांई भी आपका साथ ना दे, हर काम बिगड़ रहे हो तो 
आप पीपल के शरण में चले जाएँ, उनकी पूजा अर्चना करे , उनसे मदद की याचना करें  निसंदेह कुछ ही समय में आपके घोर से घोर कष्ट दूर जो जायेंगे।

धर्म शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को जीवन में पीपल का पेड़ अवश्य ही लगाना चाहिए । पीपल का पौधा लगाने वाले व्यक्ति को जीवन में किसी भी प्रकार संकट नहीं रहता है। पीपल का पौधा लगाने के बाद उसे रविवार को छोड़कर नियमित रूप से जल भी अवश्य ही अर्पित करना चाहिए। जैसे-जैसे यह वृक्ष बढ़ेगा आपके घर में सुख-समृद्धि भी बढ़ती जाएगी।  पीपल का पेड़ लगाने के बाद बड़े होने तक इसका पूरा ध्यान भी अवश्य ही रखना चाहिए, लेकिन ध्यान रहे कि पीपल को आप अपने घर से दूर लगाएं, घर पर पीपल की छाया भी नहीं पड़नी चाहिए।

मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति पीपल के वृक्ष के नीचे शिवलिंग स्थापित करता है तो उसके जीवन से बड़ी से बड़ी परेशानियां भी दूर हो जाती है। पीपल के नीचे शिवलिंग स्थापित करके उसकी नित्य पूजा भी अवश्य ही करनी चाहिए। इस उपाय से जातक को सभी भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है।

सावन मास की अमवस्या की समाप्ति और सावन के सभी शनिवार को पीपल की विधि पूर्वक पूजा करके इसके नीचे भगवान हनुमान जी की पूजा अर्चना / आराधना करने से घोर से घोर संकट भी दूर हो जाते है।

यदि पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर रविवार को छोड़कर नित्य हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो यह चमत्कारी फल प्रदान करने वाला उपाय है।

पीपल के नीचे बैठकर पीपल के 11 पत्ते तोड़ें और उन पर चन्दन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। फिर इन पत्तों की माला बनाकर उसे प्रभु हनुमानजी को अर्पित करें, सारे संकटो से रक्षा होगी।

पीपल के चमत्कारी उपाय
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शास्त्रानुसार प्रत्येक पूर्णिमा पर प्रातः 10 बजे पीपल वृक्ष पर मां लक्ष्मी का फेरा लगता है। इसलिए जो व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत होना चाहते है वो इस समय पीपल के वृक्ष पर फल, फूल, मिष्ठान चढ़ाते हुए धूप अगरबती जलाकर मां लक्ष्मी की उपासना करें, और माता लक्ष्मी के किसी भी मंत्र की एक माला भी जपे । इससे जातक को अपने किये गए कार्यों के सर्वश्रेष्ठ फल मिलते है और वह धीरे धीरे आर्थिक रूप से सक्षम हो जाता है ।

पीपल को विष्णु भगवान से वरदान प्राप्त है कि जो व्यक्ति शनिवार को पीपल की पूजा करेगा, उस पर लक्ष्मी की अपार कृपा रहेगी और उसके घर का ऐश्वर्य कभी नष्ट नहीं होगा। 

व्यापार में वृद्धि हेतु प्रत्येक शनिवार को एक पीपल का पत्ता लेकर उस पर चन्दन से स्वस्तिक बना कर उसे अपने व्यापारिक स्थल की अपनी गद्दी / बैठने के स्थान के नीचे रखे । इसे हर शनिवार को बदल कर अलग रखते रहे । ऐसा 7 शनिवार तक लगातार करें फिर 8वें शनिवार को इन सभी पत्तों को किसी सुनसान जगह पर डाल दें और मन ही मन अपनी आर्थिक समृद्धि के लिए प्रार्थना करते रहे, शीघ्र पीपल की कृपा से आपके व्यापार में बरकत होनी शुरू हो जाएगी ।

जो मनुष्य पीपल के वृक्ष को देखकर प्रणाम करता है, उसकी आयु बढ़ती है 
जो इसके नीचे बैठकर धर्म-कर्म करता है, उसका कार्य पूर्ण हो जाता है।

पीपल के वृक्ष को काटना 
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जो मूर्ख मनुष्य पीपल के वृक्ष को काटता है, उसे इससे होने वाले पाप से छूटने का कोई उपाय नहीं है। (पद्म पुराण, खंड 7 अ 12)

हर रविवार पीपल के नीचे देवताओं का वास न होकर दरिद्रा का वास होता है। अत: इस दिन पीपल की पूजा वर्जित मानी जाती है
यदि पीपल के वृक्ष को काटना बहुत जरूरी हो तो उसे रविवार को ही काटा जा सकता है।

शनि दोष में पीपल 
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शनि की साढ़ेसाती और ढय्या के बुरे प्रभावों को दूर कर,शुभ प्रभावों को प्राप्त करने के लिए हर जातक को प्रति शनिवार को पीपल की पूजा करना श्रेष्ठ उपाय है। 

यदि रोज (रविवार को छोड़कर) पीपल पर पश्चिममुखी होकर जल चढ़ाया जाए तो शनि दोष की शांति होती है l

शनिवार की सुबह गुड़, मिश्रित जल चढ़ाकर, धूप अगरबत्ती जलाकर उसकी सात परिक्रमा करनी चाहिए, एवं संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे कड़वे तेल का दीपक भी अवश्य ही जलाना चाहिए। इस नियम का पालन करने से पीपल की अदृश्य शक्तियां उस जातक की सदैव मदद करती है।

ब्रह्म पुराण' के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- 'मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा  उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।'

शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय।' का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है।

हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।

 ग्रहों के दोषों में पीपल 
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ज्योतिष शास्त्र में पीपल से जुड़े हुए कई आसान किन्तु अचूक उपाय बताए गए हैं, जो हमारे समस्त ग्रहों के दोषों को दूर करते हैं। जो किसी भी राशि के लोग आसानी से कर सकते हैं। इन उपायों को करने के लिए हमको अपनी किसी ज्योतिष से कुंडली का अध्ययन करवाने की भी आवश्यकता नहीं है।

पीपल का पेड़ रोपने और उसकी सेवा करने से पितृ दोष में कमी होती है । शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ की सेवा मात्र से ही न केवल पितृ दोष वरन जीवन के सभी परेशानियाँ स्वत: कम होती जाती है

पीपल में प्रतिदिन (रविवार को छोड़कर) जल अर्पित करने से कुंडली के समस्त अशुभ ग्रह योगों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। पीपल की परिक्रमा से कालसर्प जैसे ग्रह योग के बुरे प्रभावों से भी छुटकारा मिल जाता है। (पद्म पुराण)

असाध्य रोगो में पीपल
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पीपल की सेवा से असाध्य से असाध्य रोगो में भी चमत्कारी लाभ होता देखा गया है ।
 
यदि कोई व्यक्ति किसी भी रोग से ग्रसित है
 वह नित्य पीपल की सेवा करके अपने बाएं हाथ से उसकी जड़ छूकर उनसे अपने रोगो को दूर करने की प्रार्थना करें तो जातक के रोग शीघ्र ही दूर होते है। उस पर दवाइयों का जल्दी / तेज असर होता है । 

यदि किसी बीमार व्यक्ति का रोग ठीक ना हो रहा हो तो उसके तकिये के नीचे पीपल की जड़ रखने से बीमारी जल्दी ठीक होती है ।

निसंतान दंपती संतान प्राप्ति हेतु पीपल के एक पत्ते को प्रतिदिन सुबह लगभग एक घंटे पानी में रखे, बाद में उस पत्ते को पानी से निकालकर किसी पेड़ के नीचे रख दें और पति पत्नी उस जल का सेवन करें तो शीघ्र संतान प्राप्त होती है । ऐसा लगभग 2-3 माह तक लगातार करना चाहिए ।

Saturday, August 15, 2020

कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति; एमफिल बंद

 *कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति* (New Education Policy 2020*) को हरी झंडी दे दी है. 

34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है. नई शिक्षा नीति की उल्लेखनीय बातें सरल तरीके की इस प्रकार हैं: 


----*5 Years Fundamental*----

1.  Nursery    @4 Years 

2.  Jr KG        @5 Years

3.  Sr KG        @6 Years

4.  Std 1st     @7 Years 

5.  Std 2nd    @8 Years


---- *3 Years Preparatory*----

6.  Std 3rd     @9 Years 

7.  Std 4th     @10 Years 

8.  Std 5th     @11 Years 


----- *3 Years Middle*----

9.  Std 6th     @12 Years 

10.Std 7th     @13 Years 

11. Std 8th    @14 Years


---- *4 Years Secondary*----

12. Std 9th    @15 Years 

13. Std SSC   @16 Years 

14. Std FYJC  @17Years 

15. STD SYJC @18 Years 


खास बातें :


----केवल 12वीं क्‍लास में होगा बोर्ड। 

कॉलेज की डिग्री 4 साल की। 10वीं बोर्ड खत्‍म। 

MPhil भी होगा बंद।

(जेएनयू जैसे संस्थानों में 45 से 50 साल के स्टूडेंट्स कंई बरसों तक वहां पडे रहकर MPhil करते हैं, यह सभी ऐयाशी वामपंथी विचारधारा वाले राष्ट्रद्रोही को संस्थान से अब हटाया जा सकेगा ..)

---- अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा. बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा।

 

----अब *सिर्फ 12वींं में बोर्ड की परीक्षा देनी होगी*. जबकि इससे पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा।


----9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी. *स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया* जाएगा (ऊपर का टेबल देखें)।


----कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि, कि ग्रेजुएशन के *पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी*।


----3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों *को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्‍टूडेंट्स *एक साल में MA कर सकेंगे*।


---अब स्‍टूडेंट्स को MPhil नहीं करना होगा. *बल्कि MA के छात्र अब सीधे PHD* कर सकेंगे.


----स्‍टूडेंट्स बीच में कर सकेंगे अन्य दूसरे कोर्स. *हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा*. वहीं नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है। 


----हायर एजुकेशन में भी कई सुधार किए गए हैं. सुधारों में ग्रेडेड अकेडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और *फाइनेंशियल ऑटोनॉमी आदि शामिल हैं. इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में *ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे. वर्चुअल लैब्स* विकसित किए जाएंगे. एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा. बता दें, कि देश में 45 हजार कॉलेज हैं.


----सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम।

इस नियम के मुताबिक नए शैक्षणिक सत्र शुरू किया जा सकता है। सभी विद्यार्थियों और पालक ध्यान से इस संदेश पढे.

Friday, August 14, 2020

भोजन के प्रकार

  1. भोजन के प्रकार

भीष्म पितामह ने गीता में अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन करना बताया--

 

👉🏿 पहला भोजन

 जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन नाले में पड़े कीचड़ के समान होता है।


👉🏿दूसरा भोजन

 जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई ,पाव लग गया वह भोजन भिष्टा के समान होता है।


तीसरे भोजन 

जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो, केश पड़ा हो वह भोजन दरिद्रता के समान होता है।


👉🏿 चौथा भोजन 

 पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह मदिरा के तुल्य होता है और सुनो अर्जुन अगर पत्नी ,पति के भोजन करने के बाद उसी थाली में भोजन करती है या पति का बचा हुआ खाती है तो उसे चारों धाम के पुण्य का फल प्राप्त होता है।चारों धाम के प्रसाद के तुल्य वह भोजन हो जाता है।


विशेष सूचना --

सुन अर्जुन-  बेटी अगर कुमारी हो और अपने पिता के साथ भोजन करती है एक ही थाली में ,, उस पिता की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती ,क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है। इसीलिए बेटी जब तक कुमारी रहे तो अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करें। क्योंकि वह अपने पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती हैं।