Dailyhunt
Unique author(s): Virendra Gupta
Developer(s): Dailyhunt
Accessible in: 14 dialects
Starting delivery: 28 September 2010; 10 years prior
Working framework: Android; iOS
Size: 69.5 MB (iOS); 14.3mb
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• उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में, अटॉर्नी जनरल भारत के किसी भी क्षेत्र में सभी न्यायालयों में श्रोता की तरह भाग लेने का अधिकार रखता हैI साथ ही, संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में वह भाग ले सकता है और बोलने का अधिकार भी रखता है या संयुक्त बैठने की व्यवस्था और संसद के किसी समिति जिसके लिए उन्हें नामित किया गया हो परन्तु बिना वोट के अधिकार के साथI वह संसद के सदस्य के लिए उपलब्ध सभी सुविधाओं और अधिकारों का आनंद लेता हैI
• नोट – अटॉर्नी जनरल के साथ ही, भारत सरकार के अन्य कईं कानून अधिकारी होते हैंI वे भारत के सोलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल हैI वे अटॉर्नी जनरल को उनके आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में मदद करते हैंI यहाँ ध्यान रखा जाना चाहिए की केवल अटॉर्नी जनरल पद का निर्माण संविधान द्वारा किया गया हैI अन्य शब्दों में, अनुच्छेद 76 सोलिसिटर जनरल और अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल के बारे में उल्लेख नहीं करता हैI
• भारत के पहले और सबसे लंबे समय के लिए सेवा में रहे ए.जी.आई मोतीलाल चिमनलाल सेतालवाद थे
ग्रुप के सदस्यों के लिए व्हाट्सएप के नए नियमों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी...
1. ✓= संदेश भेजा गया।
2. ✓✓= संदेश पहुंचा।
3. दो नीले ✓✓ = संदेश पढ़ें।
4.तीन नीला √√√= सरकार ने संदेश पर ध्यान दिया।
5. दो नीले √√ और एक लाल ✓ = सरकार आपके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
6. एक नीला √ और दो लाल ✓✓= सरकार आपकी जानकारी की जांच कर रही है।
7. तीन लाल √√√ =सरकार ने आपके खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी है और आपकोजल्द ही एक अदालती सम्मन प्राप्त होगा।
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भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण तथ्य
1) कर्म वो आईना है, जो हमारा स्वरूप हमें दिखा देता है। हमें कर्म का एहसानमंद होना चाहिए- विनोबा भावे
2) बुराई से असहयोग करना मानव का पवित्र कर्तव्य है- महात्मा गांधी
3) कर्म सुख भले ही न ला सके, परंतु कर्म के बिना सुख नहीं मिलता- डिजरायली
4) दुःख पर तरस खाना मानवीय है; दुःख दूर करना देवतातुल्य है- होरेस मैन
5) पीड़ा पाप का परिणाम है- महात्मा बुद्ध
6) विपत्ति हीरे की धुल है, जिससे परामात्मा अपने रत्नों को चमकाता है- लेटन
7) क्रोध मस्तिष्क के दीपक को बुझा देता है- इंगरसोल
8) जब क्रोध में हों, तो दस बार सोचकर बोलिए, जब ज्यादा क्रोधित अवस्था में हों, तो हजार बार सोचिए- जेफरसन
9) जो मनुष्य अपने क्रोध को अपने ही ऊपर झेल लेता है, वह दूसरों के क्रोध से बच जाता है- सुकरात
10) किसी के प्रति मन में क्रोध लिये रहने की अपेक्षा उसे तुरंत प्रकट कर देना अधिक अच्छा है, जैसे क्षणभर में जल जाना देर तक सुलगने से अधिक अच्छा है- वेदव्यास
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:* ब्राह्मी, वैष्णवी, माहेश्वरी, कौमारी, ऐन्द्री, वाराही, नारसिंही, चामुंडा
*आठ लक्ष्मी :ज्ञान माला अंक 7आठ* आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी, विद्यालक्ष्मी
*आठ वसु :* अप (अह:/अयज), ध्रुव, सोम, धर, अनिल, अनल, प्रत्युष, प्रभास
*आठ सिद्धि :* अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व, वशित्व
*आठ धातु :* सोना, चांदी, तांबा, सीसा जस्ता, टिन, लोहा, पारा
*नवदुर्गा :* शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री
*नवग्रह :* सुर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु
*नवरत्न :* हीरा, पन्ना, मोती, माणिक, मूंगा, पुखराज, नीलम, गोमेद, लहसुनिया
*नवनिधि :* पद्मनिधि, महापद्मनिधि, नीलनिधि, मुकुंदनिधि, नंदनिधि, मकरनिधि, कच्छपनिधि, शंखनिधि, खर्व/मिश्र निधि
*दस महाविद्या :* काली, तारा, षोडशी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्तिका, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी, कमला
*दस दिशाएँ :* पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण, आग्नेय, नैॠत्य, वायव्य, ईशान, ऊपर, नीचे
*दस दिक्पाल :* इन्द्र, अग्नि, यमराज, नैॠिति, वरुण, वायुदेव, कुबेर, ईशान, ब्रह्मा, अनंत
*दस अवतार (विष्णुजी) :* मत्स्य, कच्छप, वाराह, नृसिंह, वामन, परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध, कल्कि
*दस सती :* सावित्री, अनुसुइया, मंदोदरी, तुलसी, द्रौपदी, गांधारी, सीता, दमयन्ती, सुलक्षणा, अरुंधती
गागर में सागर भरने वाले कवि बिहारी लाल रीति काल के कवियों में प्रायः सर्वोपरि माने जाते हैं। बिहारी सतसई उनकी प्रमुख रचना हैं। इसमें ७१३ दोहे हैं।
दृग उरझत, टूटत कुटुम, जुरत चतुर-चित्त प्रीति।
परिति गांठि दुरजन-हियै, दई नई यह रीति।।
भाव:- प्रेम की रीति अनूठी है। इसमें उलझते तो नयन हैं,पर परिवार टूट जाते हैं, प्रेम की यह रीति नई है इससे चतुर प्रेमियों के चित्त तो जुड़ जाते हैं पर दुष्टों के हृदय में गांठ पड़ जाती है।
लिखन बैठि जाकी सबी गहि गहि गरब गरूर।
भए न केते जगत के, चतुर चितेरे कूर।।
भाव:- नायिका के अतिशय सौंदर्य का वर्णन करते हुए बिहारी कहते हैं कि नायिका के सौंदर्य का चित्रांकन करने को गर्वीले ओर अभिमानी चिर चित्रकार ने जवाब दे दिया। उसके सौंदर्य का वास्तविक चित्रण नहीं कर पाया क्योंकि क्षण-प्रतिक्षण उसका सौंदर्य में बढ़ता ही जा रहा था।
स्वारथु सुकृतु न, श्रमु वृथा,देखि विहंग विचारि।
बाज पराये पानि परि तू पछिनु न मारि।।
भाव:- हिन्दू राजा जयशाह, शाहजहाँ की ओर से हिन्दू राजाओं से युद्ध किया करते थे, यह बात बिहारी कवि को अच्छी नही लगी तो उन्होंने कहा,-हे बाज़ ! दूसरे व्यक्ति के अहम की तुष्टि के लिए तुम अपने पक्षियों अर्थात हिंदू राजाओं को मत मारो। विचार करो क्योंकि इससे न तो तुम्हारा कोई स्वार्थ सिद्ध होता है, न यह शुभ कार्य है, तुम तो अपना श्रम ही व्यर्थ कर देते है।
कनक कनक ते सौं गुनी मादकता अधिकाय।
इहिं खाएं बौराय नर, इहिं पाएं बौराय।।
भाव:- सोने में धतूरे से सौ गुनी मादकता अधिक है। धतूरे को तो खाने के बाद व्यक्ति पगला जाता है, सोने को तो पाते ही व्यक्ति पागल अर्थात अभिमानी हो जाता है।
अंग-अंग नग जगमगत, दीपसिखा सी देह।
दिया बढ़ाए हू रहै, बड़ौ उज्यारौ गेह।।
भाव:- नायिका का प्रत्येक अंग रत्न की भाँति जगमगा रहा है, उसका तन दीपक की शिखा की भाँति झिलमिलाता है अतः दिया बुझा देने पर भी घर मे उजाला बना रहता है
कब कौ टेरतु दीन रट, होत न स्याम सहाइ।
तुमहूँ लागी जगत-गुरु, जग नाइक, जग बाइ।।
भाव:- है प्रभु ! मैं कितने समय से दीन होकर आपको पुकार रहा हूँ और आप मेरी सहायता नहीं करते। हे जगत के गुरु, जगत के स्वामी ऐसा प्रतीत होता है मानो आप को भी संसार की हवा लग गयी है अर्थात आप भी संसार की भांति स्वार्थी हो गए हो।
या अनुरागी चित्त की,गति समुझे नहिं कोई।
ज्यौं-ज्यौं बूड़े स्याम रंग,त्यौं-त्यौ उज्जलु होइ।।
भाव:- इस प्रेमी मन की गति को कोई नहीं समझ सकता। जैसे-जैसे यह कृष्ण के रंग में रंगता जाता है,वैसे-वैसे उज्ज्वल होता जाता है अर्थात कृष्ण के प्रेम में रमने के बाद अधिक निर्मल हो जाते हैं।
ज्ञान माला भाग 6
सात स्वर : सा, रे, ग, म, प, ध, नि
*सात सुर :* षडज्, ॠषभ्, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत, निषाद
*सात चक्र :* सहस्त्रार, आज्ञा, विशुद्ध, अनाहत, मणिपुर, स्वाधिष्ठान, मूलाधार
*सात वार :* रवि, सोम, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि
*सात मिट्टी :* गौशाला, घुड़साल, हाथीसाल, राजद्वार, बाम्बी की मिट्टी, नदी संगम, तालाब
*सात महाद्वीप :* जम्बुद्वीप (एशिया), प्लक्षद्वीप, शाल्मलीद्वीप, कुशद्वीप, क्रौंचद्वीप, शाकद्वीप, पुष्करद्वीप
*सात ॠषि :* वशिष्ठ, विश्वामित्र, कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव, शौनक