शोध प्रारूप बनाने का तरीका
शोध प्रारूप शोध कार्य करने से पूर्व कि वह सुनियोजित योजना है। जिसमें कुछ विशेष घटक निहित होते हैं। जिनका शोध कार्य के दौरान विशेष उद्देश्य एवं योगदान होता है। शोध प्रारूप के उद्देश्य से स्पष्ट है कि शोध वह युक्तिपूर्ण योजना का नाम है। जिसके अंतर्गत विविध घटक एक-दूसरे से परस्पर संबंधित होते हैं। इन्हीं घटनाओं के बल पर कोई शोध सफलतापूर्वक संपादित हो पाता है; जो अंतर्संबंधित होते हैं। वह घटक हैं--
- सूचना प्राप्ति के स्रोत
- अध्ययन की प्रकृति
- अध्ययन के उद्देश्य
- अध्ययन के सामाजिक -सांस्कृतिक संदर्भ
- अध्ययन द्वारा समाहित भौगोलिक क्षेत्र
- शोध कार्य में खर्च होने वाले समय का काल -निर्धारण
- अध्ययन के आयाम
- आंकड़े संकलित करने का आधार
- आंकड़े संकलन हेतु प्रयोग की जाने वाली विभिन्न विधियां।
अतः यह स्पष्ट है कि किसी भी शोध कार्य को करने से पूर्व उसकी एक ऐसी रूपरेखा का निर्माण किया जाता है जिसमें संपूर्ण शोध समाहित हो जाए। इन्हीं विचारों को ध्यान में रखते हुए विद्वानों ने उपर्युक्त बिंदुओं की ओर संकेत किया है। वर्तमान युग में शोध के क्षेत्र में इन्हीं बिंदुओं के आधार पर शोध प्रारूप को तैयार किया जाता है। इन बिंदुओं के अभाव में तैयार किया गया शोध प्रारूप अमान्य सा अस्पष्ट होता है।
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