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Friday, August 14, 2020

भोजन के प्रकार

  1. भोजन के प्रकार

भीष्म पितामह ने गीता में अर्जुन को 4 प्रकार से भोजन करना बताया--

 

👉🏿 पहला भोजन

 जिस भोजन की थाली को कोई लांघ कर गया हो वह भोजन नाले में पड़े कीचड़ के समान होता है।


👉🏿दूसरा भोजन

 जिस भोजन की थाली में ठोकर लग गई ,पाव लग गया वह भोजन भिष्टा के समान होता है।


तीसरे भोजन 

जिस भोजन की थाली में बाल पड़ा हो, केश पड़ा हो वह भोजन दरिद्रता के समान होता है।


👉🏿 चौथा भोजन 

 पति और पत्नी एक ही थाली में भोजन कर रहे हो तो वह मदिरा के तुल्य होता है और सुनो अर्जुन अगर पत्नी ,पति के भोजन करने के बाद उसी थाली में भोजन करती है या पति का बचा हुआ खाती है तो उसे चारों धाम के पुण्य का फल प्राप्त होता है।चारों धाम के प्रसाद के तुल्य वह भोजन हो जाता है।


विशेष सूचना --

सुन अर्जुन-  बेटी अगर कुमारी हो और अपने पिता के साथ भोजन करती है एक ही थाली में ,, उस पिता की कभी अकाल मृत्यु नहीं होती ,क्योंकि बेटी पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती है। इसीलिए बेटी जब तक कुमारी रहे तो अपने पिता के साथ बैठकर भोजन करें। क्योंकि वह अपने पिता की अकाल मृत्यु को हर लेती हैं।


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